Lunar eclipse 2024: आपको बता दें कि साल का पहला चन्द्र ग्रहण 25 मार्च, 2024 को सोमवार के दिन लग रहा है। यह बहुत खास अवसर है क्योंकि इसी दिन होली का पर्व भी मनाया जाएगा। ऐसा संयोग 100 साल बाद बन रहा है।

Lunar eclipse

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चंद्रग्रहण क्या होता है?

Lunar eclipse : चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और अपनी छाया चंद्रमा पर डालती है। यह केवल पूर्णिमा के दिन ही हो सकता है।

चंद्रग्रहण के प्रकार:
  • पूर्ण चंद्र ग्रहण: जब पूरी पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है।
  • आंशिक चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी की छाया का केवल एक हिस्सा चंद्रमा पर पड़ता है।
  • उपच्छाया चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी की penumbra (penumbra) छाया चंद्रमा पर पड़ती है।
चंद्रग्रहण के प्रभाव: Lunar eclipse
  • चंद्र ग्रहण का पृथ्वी पर कोई भौतिक प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल या तांबे जैसा हो सकता है।
  • कुछ लोगों का मानना ​​है कि चंद्र ग्रहण का मानव स्वास्थ्य और व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
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चंद्रग्रहण की व्याख्या :

Lunar eclipse : चंद्रग्रहण एक आध्यात्मिक और खगोलशास्त्रीय घटना होती है जब चंद्रमा पूरी तरह से या आंशिक रूप से किसी ग्रह की छाया में आ जाता है। यह घटना सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के समानल रेखा पर आने पर होती है, जिसके कारण चंद्रमा का पूरी या आंशिक रूप से ढक जाना शुरू होता है। यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन होती है, जब सूर्य, पृथ्वी, और चंद्रमा एक सीधी रेखा पर होते हैं।

चंद्रग्रहण को दो प्रकारों में बाँटा जा सकता है: पूर्ण चंद्रग्रहण और आंशिक चंद्रग्रहण। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान, चंद्रमा पूरी तरह से किसी ग्रह की छाया में आता है, जबकि आंशिक चंद्रग्रहण में केवल चंद्रमा का कुछ हिस्सा ग्रह की छाया में आता है। चंद्रग्रहण का अवधि किसी विशिष्ट समय अवधि तक निर्भर करती है और इसे लगभग कई मिनटों या घंटों तक देखा जा सकता है।

चंद्रग्रहण विशेष रूप से आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व रखता है, जैसे कि हिन्दू धर्म में कुंभ मेले के समय को चंद्रग्रहण के समय के रूप में चुना जाता है। वैज्ञानिक रूप से, चंद्रग्रहण की घटना खगोलशास्त्र के अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो सूर्य, चंद्रमा, और पृथ्वी के बीच के ग्रहण के विज्ञानिक प्रक्रिया को समझने में मदद करता है।

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कुछ महत्वपूर्ण बातें: Lunar eclipse
  • यह उपच्छाया (penumbral) चन्द्र ग्रहण होगा। इसका मतलब है कि चन्द्रमा पृथ्वी की penumbra छाया के एक हिस्से से होकर गुजरेगा।
  • यह आंखों से सीधे नहीं देखा जा सकेगा।
  • ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा क्योंकि यह चन्द्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
  • अतः होली के त्योहार पर रंग खेलने आदि धार्मिक कार्यों पर कोई पाबंदी नहीं है।
Lunar eclipse
ग्रहण का समय (भारतीय समयानुसार): Lunar eclipse
  • प्रारंभ: सुबह 10 बजकर 30 मिनट
  • मध्य: दोपहर 12 बजकर 43 मिनट
  • समाप्ति: दोपहर 3 बजकर 02 मिनट
चंद्र ग्रहण के बारे में कुछ रोचक तथ्य: Lunar eclipse
  • पृथ्वी पर हर 2.5 साल में 5 चंद्र ग्रहण होते हैं।
  • सबसे लंबे समय तक चलने वाला चंद्र ग्रहण 105 मिनट तक का हो सकता है।
  • चंद्र ग्रहण को “खूनी चंद्रमा” भी कहा जाता है, क्योंकि ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल या तांबे जैसा हो जाता है।
  • विभिन्न प्रकार के चंद्रग्रहण: चंद्रग्रहण को दो प्रकारों में बांटा जा सकता है: पूर्ण चंद्रग्रहण और आंशिक चंद्रग्रहण। पूर्ण चंद्रग्रहण में, चंद्रमा पूरी तरह से किसी ग्रह की छाया में आता है, जबकि आंशिक चंद्रग्रहण में केवल चंद्रमा का कुछ हिस्सा ग्रह की छाया में आता है।
  • कितनी बार होता है: चंद्रग्रहण हर साल कई बार होता है, लेकिन प्रत्येक चंद्रग्रहण का दृश्य अलग-अलग होता है।
  • दृश्य की लंबाई: चंद्रग्रहण की लंबाई विभिन्न होती है, कुछ चंद्रग्रहण केवल कुछ मिनटों के लिए होते हैं, जबकि अन्य लंबे समय तक चलते हैं।
  • धार्मिक महत्व: चंद्रग्रहण को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कई धार्मिक संस्कृतियों में चंद्रग्रहण के दिन को धार्मिक कर्म या उपासना के लिए उपयुक्त माना जाता है।
  • वैज्ञानिक अध्ययन: चंद्रग्रहण का अध्ययन खगोलशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाता है जो सूर्य, चंद्रमा, और पृथ्वी के बीच के विज्ञानिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है।
  • पूर्णिमा के दिन: चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन होता है, जब सूर्य, पृथ्वी, और चंद्रमा एक सीधी रेखा पर होते हैं। यह एक विशेष समय होता है जब चंद्रमा का धरा के ऊपर अधिकतम प्रकाश पड़ता है।
  • इतिहास में: चंद्रग्रहण की घटना इतिहास में अगे बढ़ा है और कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों में उपयोग किया गया है। इसके अलावा, इसका वैज्ञानिक महत्व भी है जो खगोलशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।
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