Autoimmunity एक प्रकार की प्रतिरक्षा प्रणाली की विकृति है जिसमें शरीर की खुद की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही कोशिकाओं को पहचानकर उन्हें नष्ट करने लगती है। इस प्रकार की विकृति में, शरीर के अंतर्गत प्रतिरक्षा प्रणाली के तत्व किसी निश्चित अंश को उचित रूप से संपादित करने की तरह कार्य करते हैं और निर्माता को नुकसान पहुंचाते हैं। यह विकृति अधिकांश रोगों के पीछे हो सकती है, जैसे कि आईडीडीएम (ऑटोइम्यून डायबिटीज), रीवायंडीस (रेमाटोइड आर्थराइटिस), लूपस (सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस), विटिलिगो (सफेद दाग), और अस्थमा, आदि।

Autoimmunity
Autoimmunity

ऑटोइम्यूनिटी का प्रभाव अलग-अलग रोगों में अलग-अलग हो सकता है, लेकिन कुछ सामान्य प्रतिक्रियाएं शामिल हो सकती हैं

Autoimmunity का प्रभाव:
  1. स्वस्थ्य कोशिकाओं के नष्ट होना:
    • ऑटोइम्यूनिटी विकार में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के तत्व अद्वितीय या अशुद्ध कोशिकाओं को पहचानते हैं और उन्हें नष्ट करते हैं, जिससे स्वस्थ कोशिकाएं हानि प्राप्त करती हैं।
  2. अधिक इंफ्लेमेशन:
    • ऑटोइम्यूनिटी के अधिक होने पर शरीर में अधिक इंफ्लेमेशन होता है, जो किसी विशेष अंग या अंगों में संक्रमण, दर्द, और सूजन का कारण बन सकता है।
  3. गठिया और अन्य ऑटोइम्यून विकारों की रोकथाम:
    • ऑटोइम्यून विकार जैसे कि रीवायंडीस और अन्य गठिया विकारों में, अधिकांश इलाज इंफ्लेमेशन को कम करने की कोशिश करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली के तत्वों को संशोधित करने की कोशिश करते हैं।
Autoimmunity के कारण:
  1. आनुवांशिक परिवर्तन:
    • आनुवांशिक उत्पादन ऑटोइम्यूनिटी विकारों के विकसित होने का मुख्य कारण हो सकता है। कुछ विकार जन्म से ही व्यक्ति के आनुवांशिक विचार के लिए प्रवृत्त होते हैं।
  2. पर्यावरणीय कारक:
    • कई पर्यावरणीय कारक भी ऑटोइम्यूनिटी विकारों को प्रेरित कर सकते हैं, जैसे कि धूल अलर्जी, धूम्रपान, और अपशिष्ट आहार।
  3. अनियमित आहार:
    • अनियमित और असंतुलित आहार भी ऑटोइम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है, और इससे विकारों के विकसन की संभावना हो सकती है।
  4. अनियमित रूप से योगासन:
    • योग की अभ्यास न करना और अनियमित रूप से व्यायाम करना भी ऑटोइम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है।
  5. रोगाणुओं और बैक्टीरिया के प्रवास:
    • कुछ रोगाणुओं और बैक्टीरिया भी ऑटोइम्यूनिटी विकारों को प्रेरित कर सकते हैं, जैसे कि लेप्रोसी, मलेरिया, और स्वाइन फ्लू।
  6. गलत दवाओं का सेवन:
    • कुछ दवाओं का अधिक उपयोग भी ऑटोइम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है, जैसे कि एंटीबायोटिक्स और रिकोमबिनेंट इंसुलिन।

यह केवल कुछ सामान्य कारण हैं, और प्रत्येक व्यक्ति के लिए कारण भिन्न हो सकते हैं। जब भी किसी को Autoimmunity विकार की संभावना हो, उन्हें एक विशेषज्ञ के साथ जांच कराना चाहिए ताकि सही उपचार की योजना बनाई जा सके।

अच्छी सेहत केसे बनाये ? क्या खाना चाहिए ?

Autoimmunity के कारण डायबिटीज होना:

डायबिटीज का मुख्य कारण इंसुलिन के उत्पादन में कमी होना है, जो कि पेनक्रियास द्वारा उत्पन्न होता है। यह उत्पादन कमी या इंसुलिन का पूरी तरह से अभाव होने के कारण हो सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. ऑटोइम्यून विकार:
    • ऑटोइम्यून विकारों में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद की पेनक्रियास को नष्ट करने की गलतफहमी करती है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन होने की क्षमता कम हो जाती है। यह ऑटोइम्यून डायबिटीज के रूप में जाना जाता है।
  2. गैर सही खानपान:
    • अनियमित और अस्वस्थ खानपान, उच्च चीनी और कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार, विशेष रूप से प्रोसेस्ड और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन, डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है।
  3. जीवनशैली:
    • नियमित व्यायाम न करना, अधिक बैठे रहना, अत्यधिक तनाव और अन्य अस्वस्थ जीवनशैली अभ्यास, डायबिटीज के लिए जोखिम बढ़ा सकते हैं।
  4. आनुवांशिक अंश:
    • डायबिटीज का खतरा वे व्यक्ति जो परिवार में डायबिटीज के मरीज हैं, के लिए अधिक होता है, जिसका अर्थ है कि इसमें आनुवांशिक परिवर्तन भी एक कारण हो सकता है।
  5. बढ़ी हुई आयु:
    • बढ़ी हुई आयु भी डायबिटीज के लिए एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है, क्योंकि वयस्कों में इंसुलिन के उत्पादन में गिरावट होती है और संचारित कोर्टिसोल के स्तर भी बढ़ जाते हैं, जो इंसुलिन के संभावित असंतुलन का कारण बन सकता है।

ये कुछ मुख्य कारण हैं जो डायबिटीज के विकसन में भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति को पूर्व डायबिटीज के इतिहास या अन्य संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं हों, तो उन्हें डायबिटीज का खतरा और उनके लिए उपाय की विधि जानने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

Autoimmunity रोकने के उपाय:

ऑटोइम्यूनिटी विकारों को रोकने और इन्हें कम करने के लिए कुछ कदम हो सकते हैं, जैसे कि:

  1. स्वस्थ आहार:
    • स्वस्थ और बैलेंस्ड आहार खाना, जिसमें फल, सब्जियां, अनाज, दालें, और प्रोटीन समेत सभी पोषक तत्व शामिल हों।
  2. नियमित व्यायाम:
    • नियमित व्यायाम करना, जैसे कि योग, ध्यान, और व्यायाम, जो संवेदनशीलता को बढ़ावा देते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
  3. समय पर आराम:
    • समय पर पर्याप्त आराम लेना और समाया निर्धारित करना शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखता है।
  4. स्ट्रेस प्रबंधन:
    • स्ट्रेस को नियंत्रित करने के लिए ध्यान और मेडिटेशन की अभ्यास करना, साथ ही ले निश्चित कार्रवाई और समस्याओं का सामना करने की क्षमता।
  5. नियमित चेकअप:
    • नियमित चेकअप और जाँच करना, स्वास्थ्य की निगरानी में मदद करता है और समस्याओं को समय पर पहचानने में मदद कर सकता है।
  6. अधिक हाइड्रेशन:
    • पर्याप्त पानी पीना और अच्छे से हाइड्रेटेड रहना शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, और यह इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
  7. अच्छी हाइजीन:
    • स्वस्थ और स्वच्छ रहना, सही हाइजीन अद्यतन और नियमित संतुलित खानपान का पालन करना इम्यून सिस्टम को सुधार सकता है।

ये थे कुछ सामान्य उपाय जो ऑटोइम्यूनिटी को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। यदि आपको किसी विशेष समस्या हो या आपको लगता है कि आपकी इम्यूनिटी सिस्टम में किसी तरह की समस्या है, तो सबसे अच्छा यह है कि आप डॉक्टर से परामर्श करें।

पेनक्रियाज को चालू करने के घरेलू उपाय:

पेनक्रियास को स्वस्थ रखने और उसकी क्रियाशीलता को बढ़ाने के लिए कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं:

  1. हरे और सब्जीयों का सेवन:
    • हरे और फलित सब्जियों, फलों, और अनाजों का सेवन करना पेनक्रियास के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इनमें फाइबर, विटामिन्स, और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो पेनक्रियास की सेहत को सुधार सकते हैं।
  2. गुड़ और अनाजी देखभाल:
    • गुड़, अनाज, और दालें पेनक्रियास के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि ये आहार में प्रोटीन और फाइबर प्रदान करते हैं।
  3. हल्दी का सेवन:
    • हल्दी में कुरकुमिन होता है, जो पेनक्रियास की सेहत को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। हल्दी को भोजन में शामिल करने से लाभ हो सकता है।
  4. अलसी का सेवन:
    • अलसी में विटामिन E और ऑमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो पेनक्रियास के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
  5. हेल्दी तेल:
    • हेल्दी तेलों जैसे कि जैतून का तेल और कोकोनट का तेल पेनक्रियास के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। ये अल्फा-लिपोइक एसिड के स्रोत होते हैं जो पेनक्रियास को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
  6. अल्कोहल और धूम्रपान की परहेज:
    • अधिक अल्कोहल और धूम्रपान का सेवन पेनक्रियास के लिए हानिकारक हो सकता है। इन्हें कम करने या बिल्कुल छोड़ने का प्रयास करें।
  7. नियमित व्यायाम:
    • नियमित व्यायाम करना पेनक्रियास के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह आपकी बॉडी को ठंडक प्रदान करता है और संदिग्ध चिकित्सा विकारों को रोकता है।
  8. हाइड्रेशन:
    • पर्याप्त पानी पीना और अच्छे से हाइड्रेटेड रहना पेनक्रियास की स्वस्थता के लिए महत्वपूर्ण है। यह पेनक्रियास को सही ढंग से काम करने में मदद कर सकता है।
Spread the love
Enable Notifications OK No thanks